CPI मुख्य रूप से सरकारी और सार्वजनिक संस्थानों में भ्रष्टाचार के स्तर को मापता है। यह सूचकांक वैश्विक स्तर पर पारदर्शिता और प्रशासनिक स्वच्छता का आकलन करने में मदद करता है। भारत के लिए यह एक महत्वपूर्ण संकेतक है, क्योंकि यह दिखाता है कि सरकारी नीतियां और सुधार भ्रष्टाचार पर किस हद तक नियंत्रण स्थापित कर पा रहे हैं।
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल द्वारा जारी 2024 के भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक (CPI) के अनुसार, भारत 180 देशों में से 96वें स्थान पर है[1][2][5][6]. 2023 में भारत 93वें स्थान पर था[1][7]. भारत का CPI स्कोर 2023 में 39 था, जो 2024 में घटकर 38 हो गया है[1][2][6].
कैसे मापा जाता है भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक?
CPI को 0 से 100 के स्केल पर मापा जाता है, जहां 0 का मतलब है अत्यधिक भ्रष्टाचार और 100 का अर्थ है पूरी तरह से पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन[2]. यह सूचकांक निम्नलिखित कारकों के आधार पर तैयार किया जाता है[2]:
- रिश्वतखोरी और सार्वजनिक कार्यालयों का निजी लाभ के लिए दुरुपयोग
- सरकारी धन का अपव्यय और अनुचित आवंटन
- भ्रष्टाचार को रोकने की क्षमता और नीति निर्माण में पारदर्शिता
- भाई-भतीजावाद और प्रशासनिक लालफीताशाही
CPI के लिए डेटा स्रोत विश्व बैंक, विश्व आर्थिक मंच और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों द्वारा एकत्रित किए जाते हैं, जो विभिन्न देशों में सार्वजनिक क्षेत्र की पारदर्शिता का विश्लेषण करते हैं[2].
भारत की वैश्विक स्थिति और पड़ोसी देशों की तुलना
2024 के CPI में भारत का स्कोर 38 है[1][2][6].
भारत के पड़ोसी देशों की बात करें तो[1]:
- चीन 76वें स्थान पर है
- पाकिस्तान 135वें स्थान पर है
- श्रीलंका 121वें स्थान पर है
- बांग्लादेश 149वें स्थान पर है
2024 CPI में सबसे पारदर्शी और सबसे भ्रष्ट देश
सबसे पारदर्शी देश[1][2]:
- डेनमार्क
- फिनलैंड
- सिंगापुर
सबसे भ्रष्ट देश[1][2]:
- दक्षिण सूडान
भारत में भ्रष्टाचार के प्रमुख कारण और चुनौतियां
भारत में भ्रष्टाचार के प्रमुख कारणों में नौकरशाही में पारदर्शिता की कमी, धीमी न्याय प्रक्रिया, राजनीतिक हस्तक्षेप, और प्रभावी नीतियों का अभाव शामिल हैं.
भ्रष्टाचार और जलवायु परिवर्तन के बीच संबंध
भ्रष्टाचार जलवायु परिवर्तन से निपटने के प्रयासों को कमजोर करता है[1][2]. जलवायु नीति के लिए आवंटित धन भ्रष्टाचार के कारण सही जगह नहीं पहुंच पाता[1].
क्या हो सकते हैं समाधान?
भारत में भ्रष्टाचार कम करने के लिए सरकार और नागरिकों को मिलकर प्रयास करने की जरूरत है. इसके लिए आवश्यक कदम हो सकते हैं:
- कड़े भ्रष्टाचार विरोधी कानूनों को लागू करना
- डिजिटल ट्रांसपेरेंसी बढ़ाना
- रिश्वतखोरी को रोकने के लिए सख्त दंड व्यवस्था लागू करना
- सरकारी खर्चों और नीतियों में पूर्ण पारदर्शिता लाना
- जनता को भ्रष्टाचार विरोधी अभियानों में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रोत्साहित करना
FAQ
- भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक (CPI) क्या है?
- CPI सार्वजनिक क्षेत्र में भ्रष्टाचार के कथित स्तरों का एक वैश्विक संकेतक है, जो 0 (अत्यधिक भ्रष्ट) से 100 (बहुत साफ) के पैमाने पर देशों को रैंक करता है.
- 2024 में भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक में भारत की रैंक क्या है?
- 2024 में, भारत 180 देशों में से 96वें स्थान पर है.
- कौन सा संगठन भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक जारी करता है?
- ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक जारी करता है.