भारत में ऑटोमोबाइल कंपनियां कारों में बेहतरीन फीचर्स देने की होड़ में लगी हैं, जिसमें सनरूफ एक लोकप्रिय विकल्प बन गया है। अब छोटी और सस्ती कारों में भी यह फीचर देखने को मिल रहा है, जैसे कि Tata Punch जैसी कॉम्पैक्ट एसयूवी में। इसके अलावा, पैनारॉमिक सनरूफ भी अब आम हो रहा है, जो पहले केवल लग्जरी कारों में पाया जाता था।
सनरूफ का उद्देश्य
सनरूफ का मुख्य उद्देश्य कार के अंदर हवा के बहाव को बनाए रखना और ताजी हवा का संचार करना है। हालांकि, कई लोग इसका गलत इस्तेमाल करते हैं, जैसे चलती गाड़ी में सिर या हाथ बाहर निकालना, जो दुर्घटनाओं का कारण बन सकता है।
कानूनी दायरा
भारत में मोटर व्हीकल एक्ट के तहत सनरूफ के माध्यम से बाहर निकलने पर सख्त नियम हैं। यदि कोई यात्री चलती गाड़ी में सनरूफ से बाहर निकलता है और इससे दुर्घटना होती है, तो ड्राइवर पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 184 और 177 के अनुसार, ऐसे मामलों में जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
जुर्माना
अगर कोई व्यक्ति चलती गाड़ी में सनरूफ से बाहर निकलता है, तो इसके लिए मोटर व्हीकल एक्ट के तहत जुर्माना लगाया जा सकता है:
- पहली बार उल्लंघन करने पर ₹100 का जुर्माना।
- बार-बार उल्लंघन करने पर यह जुर्माना ₹300 तक बढ़ सकता है।
- गंभीर मामलों में ड्राइवर और वाहन मालिक दोनों को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
सनरूफ के खतरों को न करें नजरअंदाज
सनरूफ के उपयोग के दौरान कई प्रकार की दुर्घटनाएं हो सकती हैं:
- तेज रफ्तार में अचानक ब्रेक लगने पर चोट लगना।
- विद्युत तारों या पेड़ों से टकराने का खतरा।
- अन्य वाहनों से टक्कर लगने का खतरा।
- धूल और प्रदूषण के संपर्क में आना।
FAQ
1. क्या भारत में सनरूफ का उपयोग कानूनी है?
भारत में सनरूफ का उपयोग कानूनी है, लेकिन इसका गलत इस्तेमाल जैसे सिर या हाथ बाहर निकालना अवैध है।
2. यदि मैं सनरूफ से बाहर निकलता हूं तो मुझे क्या जुर्माना होगा?
यदि आप सनरूफ से बाहर निकलते हैं, तो पहली बार ₹100 और बार-बार उल्लंघन करने पर ₹300 तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
3. मोटर व्हीकल एक्ट के तहत कौन सी धाराएं लागू होती हैं?
मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 184 और 177 उन मामलों पर लागू होती हैं जहां कोई यात्री चलती गाड़ी में सनरूफ से बाहर निकलता है और इससे दुर्घटना होने की संभावना होती है।